राजनीतिक पार्टी
अपना किसान पार्टी
किसान भाईयों से अपील
पहले राजाओं और सामंतो द्वारा, फिर अंग्रेजो द्वारा किसान के साथ की गई नाइंसाफी का अपना पीड़ादायक इतिहास रहा है | आजादी के बाद किसानों के दिन बहुरने के उम्मीद में 70 साल बीत गए, लेकिन आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों की आत्महत्याओं की खबरे थमने का नाम नहीं ले रहा है| दूसरी ओंर देश के जवानो के शहीद होने पर उनके परिजनों का अपमान हो रहा है| आखिर क्या कारण है?
कोई भी राजनीतिक पार्टियाँ या सरकार किसानों की वस्तुतः भलाई की बात नहीं किया केवल उतना ही बोला जितना से किसान वोट दे सके उसी का नतीजा है कि कृषि के लिए न केन्द्र और राज्य में ठोस नीति बन पाई | इतना ही नहीं किसानों के बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए भी नीति नही बनी | प्रदेश के शहरों एवं नगरों में आबादी के 30 प्रतिशत लोग बसते हैं | वहाँ सड़के, बिजली, स्वास्थ्य चमकाई जा रही हैं| किन्तु यहाँ 70 प्रतिशत किसान बसते हैं | वहां न स्थाई बिजली है, न स्वास्थ्य केन्द्र, न सड़के हैं | ये तमाम समस्याएँ देहातों में बसने वाले किसानों की है |जिसकी बोली न कोई पार्टी न सरकार बोलती है, आजादी के 70 साल बीत रहे हैं | नेताओं ने फुसलाने के लिए किसान जागृति यात्रा, धरना, प्रदर्शन, रैली आदि करते रहे हैं | किन्तु कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद फिर किसान जहाँ से चला था, वहीं नजर आता है | न उत्पादन का दाम मिला, न फसल बीमा, न ही सम्मान |
इसलिए किसानों को अपनी बोली बोलनी होगी | किसान को प्रवक्ता बनना होगा| सरकार में भागीदारी लेना होगा| एम.पी. / एम.एल.ए बनाना होगा | जहाँ कानून बनता है वहाँ किसान की उपस्थिति नहीं है, इसलिए वहाँ प्रतिनिधि बनकर जाना होगा | ‘ सौ में 70 किसान है , 70 भाग हमारा है | धन, धरती और राजपाट पर 70 हिस्सा हमारा है’ का नारा बुलन्द करने पर ही किसानों का भला हो सकता है |
अतः अब सब्र के बांध को ध्वस्त कर किसी मसीहा की प्रतीक्षा किये बगैर सीधा किसानों एवं देशहित में किसान पार्टी का गठन कर, सौ में 70 सीटों पर चुनाव लड़कर एम. पी./एम.एल.ए. बनाकर व्यापक रूप से आम और तमाम लोगों की सेवा करने के लिए तैयार होना होगा | तमाम किसान भाई गम्भीरता से सोचिये और किसी बड़े नेता की प्रतीक्षा न करें | आप स्वयं नेता बने अब तक दुसरों के लिए संगठन बनाएँ हैं | अब अपने के लिए संगठन बनावें | चुनाव लड़कर जीते | विधान सभा एवं संसद में किसानों के पीड़ा की बात रखें |
तभी किसानो की बेहतरी के लिए कानून बनेगा तभी होगा देश का भला |